ashutosh's name

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भावनाओ कि निर्मम हत्या से उपजी विचारों की अनुपम अभिव्यक्ति से दुनिया को जो मुर्दा दिखा वही कविता है। सीने में तमाम तक़लीफ़ों की कबरगाह में से आज भी जैसे कोई प्रेतात्मा प्रश्न पूछ रही है कि तेरे ख्वाब कहाँ हैं, जो तूने देखे थे ? मैं कब्र देख कर फिर से हंस देता हूँ।


ना पूछ मेरी हसरत मैं क्या चाहता हूँ

Posted by ashutosh on December 10 2009, 17:47pm

Categories: #ghazals & shayari

 

 

ना  पूछ  मेरी  हसरत  मैं  क्या  चाहता  हूँ

तेरा  प्यार  चाहता  हूँ  तेरा  दर्द  चाहता  हूँ

अपना  नाम  ज़ुबां  तेरी  चाहता  हूँ
अपने  दिल  में  हरारत  तेरी  चाहता  हूँ

तेरा  चेहरा  मेरी  आँखे  रूबरू  चाहता  हूँ
हर  पल  है  तू  पास,  एहसास  चाहता  हूँ

मेरी  हंसी  होंठ  तेरे  चाहता  हूँ
आंसू  तेरे  आँख  मेरी  चाहता  हूँ

अपनी  हर  खुशी  में  तेरा  साथ  चाहता  हूँ
चांदनी  धूप  सुनहरी  रात  चाहता  हूँ

तेरे  मन  में  अपने  ज़ज्बात  चाहता  हूँ
मेरे  हाथों  में  तेरा  हाथ  चाहता  हूँ

मेरी  रात  तेरी  नींद  चाहता  हूँ
तेरी  ख्वाहिश  हो  मेरे  अरमान  चाहता  हूँ

एक  ऐसा  मधुर  संगीत  चाहता  हूँ
तेरा  सुर  मेरे  गीत  चाहता  हूँ

अपने  करम  पे  तेरी  नज़र  चाहता  हूँ
तुझे  ज़िन्दगी  का  हमसफ़र  चाहता  हूँ

ज़िन्दगी  हो  बसर  तेरे  पहलू  में  चाहता  हूँ
दम  भी  हो  तेरी  बाहों  में  चाहता  हूँ

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