भावनाओ कि निर्मम हत्या से उपजी विचारों की अनुपम अभिव्यक्ति से दुनिया को जो मुर्दा दिखा वही कविता है। सीने में तमाम तक़लीफ़ों की कबरगाह में से आज भी जैसे कोई प्रेतात्मा प्रश्न पूछ रही है कि तेरे ख्वाब कहाँ हैं, जो तूने देखे थे ? मैं कब्र देख कर फिर से हंस देता हूँ।
हम सब लोग लगभग बचपन से ही अपने सुनहरे भविष्य की कच्ची कल्पना करने लगते हैं l और क्लास से कॉलेज तक आते आते हमें सपने ज्यादा स्पष्ट दिखने लगते हैंl एक अच्छी जॉब, अच्छा घर, गाड़ी, बीवी-बच्चेl क्या यहाँ शुरुआत कुछ गलत नहीं हुई है. एक अच्छी नौकरी। एक अच्छी...