ashutosh's name

ashutosh's name

भावनाओ कि निर्मम हत्या से उपजी विचारों की अनुपम अभिव्यक्ति से दुनिया को जो मुर्दा दिखा वही कविता है। सीने में तमाम तक़लीफ़ों की कबरगाह में से आज भी जैसे कोई प्रेतात्मा प्रश्न पूछ रही है कि तेरे ख्वाब कहाँ हैं, जो तूने देखे थे ? मैं कब्र देख कर फिर से हंस देता हूँ।


मित्र

Posted on February 4 2019, 16:52pm

हमको करते मिस नहीं,कइसन हो तुम तात ?आओ मिल बैठे पिये,हाला दिन और रात ।हाला दिन और रातकरें फिर मीठी बतियाँ,बहुत गए दिन मिली नहींमितरों से अँखिया ।मितरों के संग खूब चलेठेके के तीरे,चखने में काटेंगेताजे ककड़ी खीरे ।ककड़ी खीरे काजूचखने खूब तलेंगे,डिस्पोजल दारू के दो दो पेग चलेंगें ।पेग चलेंगे दो दोमस्ती ढेर चलेगी ,जागेंगे सुबहा तकपार्टी देर चलेगी ।

To be informed of the latest articles, subscribe:
Comment on this post

Blog archives

We are social!

Recent posts