ashutosh's name

ashutosh's name

भावनाओ कि निर्मम हत्या से उपजी विचारों की अनुपम अभिव्यक्ति से दुनिया को जो मुर्दा दिखा वही कविता है। सीने में तमाम तक़लीफ़ों की कबरगाह में से आज भी जैसे कोई प्रेतात्मा प्रश्न पूछ रही है कि तेरे ख्वाब कहाँ हैं, जो तूने देखे थे ? मैं कब्र देख कर फिर से हंस देता हूँ।


अब हाल उनका मालूम पड़ता है अखबारों से

Posted by ashutosh on December 25 2009, 16:27pm

Categories: #ghazals & shayari

अब  हाल  उनका  मालूम  पड़ता  है  अखबारों  से 
हमने  दर्द  को   रिसते  देखा  है  दरारों  से 
छतों  को  उखाड़  के  ले  गए  घरों  की  हमारी 
हमने  बरसात  गुजारी  है  इन  दीवारों  से 
शहर  छोड़  देते  हम  भी  ओरों  की  तरह 
नाव  बढ़  न  सकी  आगे  कनारों  से 
किसी  किताब  में  नहीं  सजा  उनके  पापों  की 
इंसानियत  तौलते  हैं  जो  शब्द  के  औजारों  से 
ऊँची  कीमत  में  बिक  गया  शहर  सारा 
ज़िन्दगी  कैसे  बचाएं  मौत  के  खरीदारों  से 
किसे  दिलाये  यकीन  हम  अजीब  हाल  पे  अपने 
खतरा  हमको  है  घर  के  असरदारों  से 
 
To be informed of the latest articles, subscribe:
Comment on this post

Blog archives

We are social!

Recent posts