ashutosh's name

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भावनाओ कि निर्मम हत्या से उपजी विचारों की अनुपम अभिव्यक्ति से दुनिया को जो मुर्दा दिखा वही कविता है। सीने में तमाम तक़लीफ़ों की कबरगाह में से आज भी जैसे कोई प्रेतात्मा प्रश्न पूछ रही है कि तेरे ख्वाब कहाँ हैं, जो तूने देखे थे ? मैं कब्र देख कर फिर से हंस देता हूँ।


नूतन वर्ष का मेरा नूतन ख्वाब

Posted by ashutosh on December 31 2009, 14:56pm

Categories: #ghazals & shayari

नूतन  वर्ष  का  मेरा  नूतन  ख्वाब
मैं  देखना  चाहूँगा  नए  साल  में
सबके  सपने  पूरे  होते
जैसे  मेरे  हुये

 

मैं चाहूँगा  हर  भूख  को  रोटी  मिले  रोज़
मेरे  हर  भाई  को  काम  मिले
जिसे  मैं  जानता  हूँ 
और  जिसे  मैं  नहीं  जानता  उसे  भी

किसी  की  बेटी  अगवा  ना  हो  पूरे  साल

 

शराब  पी  के
कपड़े  ना  फाड़े  कोई  किसी  सैलानी  के
हम  सभ्य  बने  पर्यटकों  के  लिए

 

हम  हिफाजत  करना  सीखे  खुद  की
और  समाज  की  भी

हर  दिल  में  प्यार  हो  किसी  के  लिए
कोई  फरेब  कोई  धोखा  कोई  चोरी  ना  हो

सबको  मुहब्बत  मिले  अपनी

अमन  हो  चैन  हो  शान्ति  हो  हर  शहर  में

पडोसी  से  झगड़ा  ना  हो  मोहल्ले  में

 

हम  बाज़ार  जाएँ  घूमने  शाम  को
और  बम  न  फटे  .
हो  जायेगा  न्यू  इयर  हैप्पी.

 

HAPPY NEW YEAR 2010

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S
<br /> Your blog is pretty good and impressed me a lot. This article along with the images is quite in-depth and gives a good overview of the topic.<br /> <br /> <br />
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