खामोश जिस्म में भी जान अभी बाकी है
तेरी वफाओं का निशान अभी बाकी है
थम गयी दिल में हरारत जो तेरे दम से थी
बुझे से दिल में भी अरमान अभी बाकी है
हिल गया मेरा आशियाना इन थपेड़ो से
आने वाला बड़ा तूफ़ान अभी बाकी है
मिट गया सब जो मुहब्बत में था पाया मैंने
फिर भी कई और इम्तिहान अभी बाकी है
हर सज़ा रूबरू पायी है उस सितमगर से
क़त्ल को मेरा पर फ़रमान अभी बाकी है
हर तरफ ज़ख्म ही पाए हैं जीते जी हमने
फिर भी होठों पे ये मुस्कान अभी बाकी है