ashutosh's name

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भावनाओ कि निर्मम हत्या से उपजी विचारों की अनुपम अभिव्यक्ति से दुनिया को जो मुर्दा दिखा वही कविता है। सीने में तमाम तक़लीफ़ों की कबरगाह में से आज भी जैसे कोई प्रेतात्मा प्रश्न पूछ रही है कि तेरे ख्वाब कहाँ हैं, जो तूने देखे थे ? मैं कब्र देख कर फिर से हंस देता हूँ।


सन्नाटा शहर का बहरों को दिया जाता है

Posted by ashutosh on December 3 2009, 13:11pm

Categories: #ghazals & shayari



सन्नाटा शहर का बहरों को दिया जाता है
हर तरफ लूट का व्यापार किया जाता है

लोग खरीद रहे हैं दर्द अपनों से अपनों के लिए
ऐसे हालात में भला कैसे जिया जाता है

देव एक जी गया मंथन के गरल को पी कर 
यहाँ रोज अपमान का हलाहल पिया जाता है

अपनों की पीठ में उतारना खंजर प्यार से
मुझे भी बता दो जरा कैसे किया जाता है

हुनर और पेंतरे हर रंग के देखे हैं यहाँ
हमारी बेच के पतलून हमें लंगोट सिया जाता है

हालात बेहतर हैं अब अमन पसंदों की दुनिया में
निवाला आखिरी भी अब छीन लिया जाता है


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