सन्नाटा शहर का बहरों को दिया जाता है
हर तरफ लूट का व्यापार किया जाता है
लोग खरीद रहे हैं दर्द अपनों से अपनों के लिए
ऐसे हालात में भला कैसे जिया जाता है
देव एक जी गया मंथन के गरल को पी कर
यहाँ रोज अपमान का हलाहल पिया जाता है
अपनों की पीठ में उतारना खंजर प्यार से
मुझे भी बता दो जरा कैसे किया जाता है
हुनर और पेंतरे हर रंग के देखे हैं यहाँ
हमारी बेच के पतलून हमें लंगोट सिया जाता है
हालात बेहतर हैं अब अमन पसंदों की दुनिया में
निवाला आखिरी भी अब छीन लिया जाता है