ashutosh's name

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भावनाओ कि निर्मम हत्या से उपजी विचारों की अनुपम अभिव्यक्ति से दुनिया को जो मुर्दा दिखा वही कविता है। सीने में तमाम तक़लीफ़ों की कबरगाह में से आज भी जैसे कोई प्रेतात्मा प्रश्न पूछ रही है कि तेरे ख्वाब कहाँ हैं, जो तूने देखे थे ? मैं कब्र देख कर फिर से हंस देता हूँ।


मुहब्बत पे क़ुर्बान कई बार हुए

Posted by ashutosh on September 1 2009, 15:41pm

Categories: #ghazals & shayari

मुहब्बत पे क़ुर्बान कई बार हुए
धोखे से हलकान कई बार हुए

 

कोशिश हर बार की नया घर बसाने की
माना की बियावान कई बार हुए

 

मात ही मिली हर शह की चाल पे अपनी
ऐसे ज़िन्दगी के इम्तिहान कई बार हुए

 

फ़रिश्ता माना था इंसान को मुहब्बत का
फ़रिश्ते भी इंसान कई बार हुए

 

आज है कुछ रंजिश उन्हें हमसे इस कदर
जो पहले मेहरबान कई बार हुए

 

हसरते नयीं नयीं पालने में क्या जाता है
माना की ख़ाक अरमान कई बार हुए

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Comment on this post
S
bahot khub kay baat hai dost
Reply
A
<br /> Shukriya Shabnam<br /> <br /> <br />

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