मुहब्बत पे क़ुर्बान कई बार हुए
धोखे से हलकान कई बार हुए
कोशिश हर बार की नया घर बसाने की
माना की बियावान कई बार हुए
मात ही मिली हर शह की चाल पे अपनी
ऐसे ज़िन्दगी के इम्तिहान कई बार हुए
फ़रिश्ता माना था इंसान को मुहब्बत का
फ़रिश्ते भी इंसान कई बार हुए
आज है कुछ रंजिश उन्हें हमसे इस कदर
जो पहले मेहरबान कई बार हुए
हसरते नयीं नयीं पालने में क्या जाता है
माना की ख़ाक अरमान कई बार हुए