फाड़ा है उसने ख़त को कुछ इस बदतरी के साथ
दामन है जैसे मेरा अब आया हो उसके हाथ
वो आ के बस बता दें जरा इतना सा सबब
जीते हैं कैसे इतनी भरी नफरतों के साथ
हमने तो सिखाई न कभी तुमको ये फरेब
फिर मुझको बताओ ये सबक सीखे किसके साथ
अब कहते हो तुमको नहीं सूरत है ये बर्दाश्त
तुम रात दिन हर पल को ही जीते थे जिसके साथ
कैसे तुझे मैं याद दिलाऊं तेरा कलाम
रहते हो किसके साथ और कसमें थीं किसके साथ