rakhte hain apne khaleete me tasveer-e-yaar
khuskismat hain mere dost jinhe manzil mili apni
wo or the jo rakhte the kaleja hatheli pe
jab lauta diye the tumne khat mere faad kar
apni aankho me aaj ab bhi wo manzar rakhte hain
हम तो आशिक हैं पत्थर का जिगर रखते हैं
रखते हैं अपने खलीते में तस्वीर-ऐ-यार
कुछ लोग जेब में पूरा शहर रखते हैं
खुशकिस्मत हैं मेरे दोस्त जिन्हें मंजिल मिली अपनी
हम तो किस्मत में ताउम्र सफ़र रखते हैं
वो और थे जो रखते थे कलेजा हथेली पे
अब तो आस्तीन में लोग खंज़र रखते हैं
जब लौटा दिए थे तुमने ख़त मेरे फाड़ कर
अपनी आँखों में आज भी वो मंज़र रखते हैं