ashutosh's name

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भावनाओ कि निर्मम हत्या से उपजी विचारों की अनुपम अभिव्यक्ति से दुनिया को जो मुर्दा दिखा वही कविता है। सीने में तमाम तक़लीफ़ों की कबरगाह में से आज भी जैसे कोई प्रेतात्मा प्रश्न पूछ रही है कि तेरे ख्वाब कहाँ हैं, जो तूने देखे थे ? मैं कब्र देख कर फिर से हंस देता हूँ।


छंद सा जीवन अनंदा

Posted by ashutosh on July 30 2014, 18:19pm

Categories: #ghazals & shayari

छंद सा जीवन अनंदा 

मौत से सब काम धंधा,

काही ले सुधि मोह माया 

शिव तले मोहे सब सुगंधा।

 

अब कहाँ नीरस विषैला, 

है सुघड़ सुन्दर रसीला,

काशी गंगा शिव यहीं सब

कृष्ण सा यह प्रेमफंदा।

 

मृत्यु पर अब हँस रहा हूँ,

तंज़ खुद पर कस रहा हूँ। 

सत्य तो अंतिम यही है,

पथ पथिक और मोड़ अंधा।

छंद सा जीवन अनंदा
छंद सा जीवन अनंदा
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