छंद सा जीवन अनंदा
मौत से सब काम धंधा,
काही ले सुधि मोह माया
शिव तले मोहे सब सुगंधा।
अब कहाँ नीरस विषैला,
है सुघड़ सुन्दर रसीला,
काशी गंगा शिव यहीं सब
कृष्ण सा यह प्रेमफंदा।
मृत्यु पर अब हँस रहा हूँ,
तंज़ खुद पर कस रहा हूँ।
सत्य तो अंतिम यही है,
पथ पथिक और मोड़ अंधा।